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Monday, 5 September 2011

If Speak Asia Know It Will Run Away Before

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स्पीक एशिया: यदि मालूम होता तो तभी भाग गई होती कंपनी

उदय प्रताप

बड़े दिनों के बाद आए स्पीक एशिया के ग्लोबल सीईओ के संदेश ने उदास कर दिया। स्पीक एशिया के कुछ शुभचिंतकों का मानना है कि उच्च प्रबंधन के बचपने भरे निर्णयों के कारण ही कंपनी आज इस हालात में पहुंची है और यदि वापस पटरी पर आने में देरी हो रही है तो केवल इसलिए क्योंकि कंपनी का टॉप मैनेजमेंट स्थिति का सामना करने के बजाए डर कर भाग रहा है। 

जिक्र-ए-खास यह भी है कि 11 मई से 15 मई तक टॉप मैनेजमेंट को इस बात का अंदाजा नहीं था कि संकट इतना बड़ा है। यदि उन्हें मालूम होता तो तभी भाग गई होती कंपनी। अब तो फंस गई। पेनलिस्ट के हित के लिए नहीं, अपनी जान बचाने के लिए लड़ रहे हैं। यदि नहीं लड़ेगे तो हरेन कौन और मनोज कुमार के खिलाफ रेडकार्नर नोटिस जारी हो जाएगा। दुनिया में उनकी पहचान होगी भारत के भगोड़े।

सीओओ तारक वाजपेयी भी खुद फ्लाइट पकड़कर मुम्बई क्रांइम ब्रांच के सामने पेश नहीं हुए थे, उन्हें पकडऩे के लिए पुलिस को मुम्बई से इन्दौर जाना पड़ा और तब तक भी तारक वाजपेयी को यह भरोसा नहीं हो रहा था कि मेरी गिरफ्तारी हो गई है। याद करो गिरफ्तारी के समय उनका बयान। उन्होंने कहा था कि मेरी गिर$फ्तारी नहीं हो सकती, हाईकोर्ट का आदेश है मेरे पास। 

जरा सोचिए, जिस कंपनी के टॉप मैनेजमेंट में कानून की इतनी कमजोर समझ रखने वाले अधिकारी हों वहां कैसे आप भरोसा कर सकते हैं कि कंपनी कम समय में संकट से उबर सकती है। 

महोदय, जिस देश में आप रहते हैं उसका नाम है भारत, 110 करोड़ की आबादी वाला भारत नहीं, 542 सांसदों की संसद वाला भारत। जहां कई जांचें ऐसी चलतीं हैं कि जांच का आवेदन देने वाला ही चल निकलता है परंतु जांच चलती रहतीं हैं। भ्रष्टाचार इतना दमदार है कि पिछले 46 साल से लोकपाल कानून संसद की फाइलों में कैद पड़ा हुआ है। अस्सी साल के अन्ना का अनशन भी इस कानून का आज तक लागू नहीं करा पाया। 

आप समझ रहे हैं न कि जब इतना बड़ा दबाव इन सरकारी तरीकों को नहीं बदल पा रहा है तो आप क्या समझते हैं सिंगापुर में बैठीं हरेन कौर या दुबई में छिपे मनोज कुमार जैसे कमजोर प्रबंधक सरकारी तरीकों को बदलते हुए 10 सितम्बर तक कुछ भी अच्छा कर पाएंगे। 

पॉजिटिव थिंकिंग अच्छी बात है, होनी चाहिए, यह भगवान की भक्ति के समान है, लेकिन अंधभक्ति नहीं होनी चाहिए। बिज बास्केट ने तो इसी में पॉजिटिव खोज निकाला कि सुप्रीम कोर्ट ने हमारे खिलाफ कोई टिप्पणी नहीं की। कल को बोलोगे कि केवल सरकार हमारे खिलाफ है, देश नहीं। 

कुल भी ऊलजलूल बोलने से कुछ नहीं होता। कड़वा सच यह है कि कंपनी का सीईओ फरार है और यदि हाजिर नहीं हुआ तो न्यायालय उसकी गिरफ्तारी पर इनाम भी घोषित कर सकती है। भारत में रजिस्ट्रेशन का ख्वाब तो फिलहाल न ही देखो तो ज्यादा अच्छा है। 

नोट कर लो, 

ख्वाब वो नहीं होता जो नींद में आए, 

ख्वाब वो होता है जो नींद उड़ा दे, 

और जो खुली आखों में आ जाए उसे ख्वाब नहीं कहते, पागलपन कहते हैं। 

अब करो कमेंट, हो दम तो लॉजिकल मेरी बातों को गलत साबित करो। अपने नाम और शहर का नाम लिखकर करो कमेंट, देखते हैं कितने स्पीक एशियन बचे हैं इस देश मे।


Today On 5th September News according to Speak Asia Latest News their are way Out But Have to wait.